मोदी का अनशन 60 करोड़ का तमाशा: वाघेला
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वाघेला ने कहा कि वो अपने उपवास के माध्यम से गुजरात के काले पक्ष को उजागर करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वो मोदी के एयर-कंडीशंड सभागृह के बजाय फ़ुटपाथ पर अनशन कर रहे हैं.
वाघेला ने कहा, “हम एयर-कंडीशन में नहीं फ़ुटपाथ पर बैठे हैं. हम गाँधी आश्रम में बैठे हैं. हम अपेक्षा रखेंगे कि सामने वाले का भी हृदय परिवर्तन हो.”
वाघेला ने मोदी पर सवाल दागा कि वो क्यों उपवास कर रहे हैं, और ऐसा कौन सा आसमान गिर पड़ा है.
“इन्होंने क्यों उपवास किया है? कौन सा आसमान गिर पड़ा था? हरेन पांड्या की हत्या हुई थी तो सद्भावना कहाँ गई थी? जब 2000 लोग मारे गए थे तो सद्भावना कहाँ गई थी?”
क्लीन चिट नहीं
कैसा उपवास?
"गुजरात सरकार के मुख्यमंत्री को अनशन करने की ज़रूरत क्यों पड़ी, मैं ये समझ नहीं सकता. सरकारी पैसे से 50-60 करोड़ का खर्च करके एक तमाशा होता है. इस तरह उपवास नहीं होता है. इन्होंने क्यों उपवास किया है? कौन सा आसमान गिर पड़ा था? हरेन पांड्या की हत्या हुई थी तो सद्भावना कहाँ गई थी? जब 2000 लोग मारे गए थे तो सद्भावना कहाँ गई थी?"
शंकरसिंह वाघेला, कांग्रेस नेता
भाजपा नेता ऐसा इशारा दे रहे हैं कि गुलबर्ग सोसाईटी मामले को गुजरात की निचली अदालत को भेज दिया जाना नरेंद्र मोदी को एक तरीके से सुप्रीम कोर्ट की क्लीन चिट है. इस पर वाघेला ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने नरेंद्र मोदी को कोई क्लीन चिट नहीं दी है.
“एमिकस क्यूरी राजू रामचंद्रन ने कहा है कि ये क्लीन चिट नहीं है. अभी मैजिस्टीरियल इन्क्वायरी और भी होगी. अमेरिकन रिपोर्ट बकवास है. सीएजी ने सरकार पर साढ़े 26 हज़ार के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. हरेन पंडया के कथित हत्यारे भी छूट गए हैं. इन सब से ध्यान हटाने के लिए इन्होंने सरकारी उपवास किया है.”
वाघेला ने पूछा कि कौन से इतिहास में लिखा है सरकार उपवास करे.
गुजरात दंगों की ओर ध्यान दिलाते हुए उन्होंने कहा कि साल 2002 दंगों के पीड़ित आज भी मुआवज़े के लिए भटक रहे हैं और सरकार जानबूझकर उन पर ध्यान नहीं दे रही है.
“गुजरात में कोई नया विकास नहीं हुआ है. गुजरात में हमेशा से ही विकास रहा है. इसके पहले क्या कोई सरकार नहीं थी क्या?”