सुषमा स्वराज के बयान से बढ़ी महबूबा मुफ्ती की मुश्किलें


सीएम नरेंद्र मोदी के उपवास के दौरान सुषमा स्वराज के एक बयान ने नए विवाद को जन्म दे दिया है.

लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा ने दावा किया है कि जम्मू-कश्मीर में विपक्षी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) नेता महबूबा मुफ्ती ने नरेंद्र मोदी की तारीफ की थी.

उनके इस बयान पर जम्मू-कश्मीर की राजनीति गरमा गई है. महबूबा मुफ्ती ने जहां इस बात से इनकार किया है, वहीं जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि महबूबा ने मोदी की सराहना की इस बात पर उन्हें तनिक भी आश्चर्य नहीं हुआ.

दरअसल, सुषमा स्वराज ने अहमदाबाद में मोदी के सद्भावना उपवास के अंतिम दिन (सोमवार को) मंच पर मोदी को अल्पसंख्यकों का हमदर्द बताने की कोशिश में महबूबा मुफ्ती का भी नाम लिया था.

सुषमा ने कहा था, "आडवाणी जी मोदी की तारीफ करें तो समझा जा सकता है कि वह स्नेह से उनकी तारीफ कर रहे हैं, मैं मोदी की तारीफ करूं तो समझा जा सकता है कि वह हमारी पार्टी के मुख्यमंत्री हैं इसलिए उनकी तारीफ कर रही हूं. लेकिन हाल ही में राष्ट्रीय एकता परिषद (एनआईसी) की बैठक में पीडीपी जैसी घोर विरोधी पार्टी की नेता महबूबा मुफ्ती ने मोदी की तारीफ की."

सुषमा के मुताबिक महबूबा मुफ्ती ने एनआईसी की मीटिंग में कहा था कि उनके एक मुस्लिम दोस्त गुजरात में उद्योग लगाना चाहते थे, इसके लिए वे मोदी से समय चाहते थे. नरेंद्र मोदी ने उन्हें तुरंत समय दिया. मोदी ने सारे संबंधित अधिकारियों को बुला लिया था और आधे घंटे में ही सारी बातें फाइनल कर दी गई थीं.

वहीं, सुषमा स्वराज के दावे को खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने एनआईसी की बैठक में मोदी की तारीफ नहीं की थी.

उनका कहना है कि सुषमा ने उनकी बातों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया. उन्होंने कहा, "मेरी बातों को गलत तरीके से पेश किया गया है. मैं भारत सरकार से आग्रह करती हूं कि वह मेरे भाषण की प्रति निकाले ताकि सब साफ हो जाए."

मुफ्ती ने कहा, "मुझे लगता है भाजपा निराश है. मैं उससे कहूंगी कि अगर उसे अपनी धर्मनिरपेक्षता साबित करने के लिए मुस्लिम नेताओं की जरूरत है तो वह फारुक अब्दुल्ला से संपर्क करे, जिन्होंने मोदी की तारीफ की थी और कहा था कि उन्हें मोदी की आंखों में अल्लाह दिखते हैं."

उधर, महबूबा मुफ्ती को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश के तहत उमर ने ट्विट किया, "महबूबा ने मोदी की तारीफ की इस बात पर मुझे तनिक भी आश्चर्य नहीं हुआ. वह जिसे पसंद करती हैं, उसकी तारीफ कर सकती हैं. मुझे आश्चर्य इस बात का है कि दूसरों ने भी उनका भाषण सुना था और इसके बावजूद वह इसका खंडन कर रही हैं."

उन्होंने कहा, "खंडन करने की अपेक्षा वह इसे स्वीकार क्यों नहीं कर रहीं. सुषमा स्वराज के बयान को झूठ कहने की अपेक्षा उन्हें इसे स्वीकार करना चाहिए."

एक अन्य ट्वीट में उमर ने कहा, "कम से कम महबूबा के पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद ने बतौर गृह मंत्री यह बात स्वीकारी थी कि उन्होंने बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव से लालकृष्ण आडवाणी को रिहा करने के लिए कहा था."

इसके बाद महबूबा मुफ्ती ने उमर अब्दुल्ला पर निशाना साधते हुए कहा, "उमर उस समय राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार में मंत्री थे जब गुजरात में मुसलमानों का कत्ले आम हुआ था."

मुफ्ती ने कहा, "उमर दिन भर में हजार ट्विट करते हैं और कहते हैं कि निजी जिंदगी में आई उलझनों के बावजूद वह बतौर मुख्यमंत्री कड़ी मेहनत कर रहे हैं. एनआईसी की उस बैठक में वह भी मौजूद थे लेकिन वह 15 दिनों बाद क्यों ट्विट कर रहे हैं."

Posted by राजबीर सिंह at 10:09 pm.

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