शारदीय नवरात्र : दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, अर्चना का विधान
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नवरात्र का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी की आराधना का दिन है. भक्त-साधक कई प्रकार से मां का आर्शीवाद प्राप्त करने के लिए व्रत-अनुष्ठान व साधना करते हैं.
साधक-योगी आज के दिन अपने मन को मां के श्री चरणों मे एकाग्रचित करके स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित करते हैं और मां की कृपा प्राप्त करते हैं.
ब्रह्म शब्द का मतलब (तपस्या) है. ब्रह्मचारिणी का तात्पर्य ‘तप का आचरण’ करने वाली ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप ज्योतिर्मय एवं महान है. मां के दाहिने हाथ में जपमाला एवं बाएं हाथ में कमंडल सुशोभित रहता है. अपने पूर्व जन्म में वे हिमालय (पर्वतराज) के घर कन्या रूप में प्रकट हुई थीं.
तब इन्होंने देवर्षि नारद जी के उपदेशानुसार कठिन तपस्या करके भगवान शंकर को अपने पति के रूप में प्राप्त किया था. मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से मनोरथ सिद्धि, विजय एवं निरोगता की प्राप्ति होती है तथा मां के निर्मल स्वरूप के दर्शन प्राप्त होते हैं. प्रेम युक्त की गई भक्ति से साधक का सर्व प्रकार से दु:ख-दारिद्र का विनाश एवं सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
जगदम्बा भगवती के उपासक श्रद्धा भाव से उनके ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा कर उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को कृतार्थ करते हैं.
साधना विधान –
मां ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा या तस्वीर को लकड़ी के पट्टे पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित करें. उस पर हल्दी से रंगे हुए पीले चावल की ढेरी लगाकर उसके ऊपर हकीक पत्थर की 108 मनकों की माला रखें.
परिवार या व्यक्ति विशेष के आरोग्य के लिए एवं अन्य मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए मनोकामना गुटिका रखकर हाथ में लाल पुष्प लेकर मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान करें.
मनोकामना गुटिका पर पुष्पांजलि अर्पित कर उसका पंचोपचार विधि से पूजन करें. तदुपरांत दूध से निर्मित नैवेद्य मां ब्रह्मचारिणी को अर्पित करें. देशी घी से दीप प्रज्जवलित रहे. हकीक की माला से 108 बार मंत्र का जाप करें:-
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ओम् ब्रह्मचारिण्यै नम:
मंत्र पूर्ण होने पर मां से अपने अभीष्ट के लिए पूर्ण भक्ति भाव से प्रार्थना करें. इसके बाद मां की आरती करें तथा कीर्तन करें.
नवरात्र का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी का दिन है. इस दिन पूजन करके भगवती जगदम्बा को चीनी का भोग लगाएं. इसको किसी ब्राह्मण को दे दें.
ऐसा करने से मनुष्य दीर्घायु होता है.