SC ने रद्द की हसन अली की ज़मानत
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न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर और न्यायमूर्ति एसएस निज्जर की खंडपीठ ने यह फ़ैसला किया.
गौरतलब है कि बांबे हाईकोर्ट ने हसन अली को ज़मानत दी थी. लेकिन प्रवर्तन निदेशालय ने इसके ख़िलाफ़ उच्चतम न्यायालय में अपील की थी.
प्रवर्तन निदेशालय ने हसन अली पर कई गंभीर आरोप लगाए थे और कहा था कि ज़मानत मिलने से देश से भाग सकते हैं.
ईडी ने कहा था कि दस्तावेजों से खुलासा होता है कि हसन अली खान ने भारत से बाहर एक बैंक में 80 करोड़ डॉलर जमा कर रखा है. एजेंसी ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि हसन अली की ओर किए गए कई लेनदेन से उसके अंतरराष्ट्रीय हथियार तस्कर अदनान खशोगी से संबंधों का पता चलता है.
बंबई उच्च न्यायालय की ओर से 12 अगस्त को जमानत का आदेश दिए जाने के एक दिन बाद दायर की गई याचिका में ईडी ने कहा - दस्तावेजों से खुलासा होता है कि हसन अली और खाशोगी में गहरा गठजोड़ था.
उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी करते हुए हसन अली को जमानत दे दी थी कि ईडी यह साबित करने में नाकाम रही है कि उसने जो धन जमा कर रखा है वह अपराध से हासिल किया गया है.