मेरठ : व्यक्ति अपने कर्म से पहचाना जाता है। .....

पत्रकारों से बातचीत में जाने-माने चित्रकार बाबा सत्यनारायण मौर्या ने भी कमेले को बंद कराने की बात कही। उन्होंने कहा कि मीट खाना नुकसानदायक है, मनुष्य की प्रकृति शाकाहारी है।

हमारे देश में पुरातन समय समय से ही शाकाहारी भोजन को शरीर के लिए वैज्ञानिक आधार पर उचित ठहराया गया। मौर्या ने कहा कि पशुवध के लिए अलग-अलग देशों में अलग-अलग नियम है, लेकिन हमारे देश में कोई नियम नहीं है।

यहां पेड़ काटने पर तो कड़ी कार्रवाई हो जाती है, लेकिन पशु की हत्या पर चुप्पी साधे रखी जाती है। पशु रक्षा की मुहिम चलाने वाली मेनका गांधी पर भी बाबा मौर्या भड़के और कहा कि वे भैंस के कटने पर तो कराह उठती हैं, लेकिन गाय के कटने पर चुप रहती हैं। यह समझ से परे है।

हाल ही में हाजी याकूब द्वारा यह कहे जाने की मीट के व्यवसाय में कई हिन्दू और जैनियों के नाम शामिल हैं, इस पर मौर्या ने कहा कि महज नाम के आगे जैन लिखने से कोई जैनी या शर्मा लिखने से ब्रांाण नहीं हो जाता, व्यक्ति अपने कर्म से पहचाना जाता है।

लोकपाल बिल के लिए अन्ना हजारे की छेड़ी गई मुहिम पर भी उन्होंने सवाल खड़े किए और कहा कि महज तीन दिन के अनशन के बाद चुप्पी साध लेना, इतनी बड़ी समस्या का समाधान नहीं है। काले धन को लेकर जो मुहिम बाबा रामदेव ने छेड़ी है और सुझाव रखे हैं, वह ज्यादा प्रभावी हैं।

शराब के ठेके क्यों बंद नहीं कराते भाजपाई

इस्लाम में शराब पीना हराम है, फिर पशु कटान का विरोध कर रहे लोग शराब के ठेके क्यों बंद नहीं कराते हैं। खानपान की स्वतंत्रता मुस्लिमों का संवैधानिक अधिकार हैं। ऐसे में वह क्या किसी के कहने पर मांस खाना छोड़ दें। एक्ट में मांस आपूर्ति की मनाही नहीं है। ऐसे में पशु कटान का विरोध क्यों? इतना जरूर है कि पशु कटान के नाम पर अव्यवस्था या उगाही नहीं होनी चाहिए।

नियम अनुसार वहां कटान हो, इसका किसी को विरोध नहीं करना चाहिए। पशु कटान गैर दुधारू पशु का होता है। ऐसे में मांस निर्यात के विरोध का किसी को अधिकार नहीं है। कई व्यापारी भी तो ऐसे है तो नकली खाद्य सामग्री तैयार कर बाजार में बेच रहे है, उनका भाजपा या व्यापार मंडल विरोध क्यों नहीं करता?

-हाजी शाहिद अखलाक, पूर्व सांसद।

Posted by राजबीर सिंह at 9:43 pm.

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