दिवाली के दौरान पटाखों से दूर रहे दमा और दिल के मरीज
ताजा खबरें, विज्ञान 9:22 pm
दिवाली के दौरान दमा और दिल के मरीजों को पटाखों से दूर रहने और सावधानी बरतने की सलाह स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने दी है.
विशेषज्ञों के अनुसार पटाखों से निकलने वाले धुएं रसायन व तेज आवाज के कारण दिल के दौरे, रक्तचाप, दमा, नाक की एलर्जी, ब्रोंकाइटिस और निमोनिया का खतरा कई गुणा बढ़ जाते हैं.
विशेषज्ञों के अनुसार पटाखों के कारण दीवाली के बाद वायु प्रदूषण छह से दस गुना और आवाज का स्तर 15 डेसिबल तक बढ़ जाता है. इसकी वजह से पर्यावरण व स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है.
मेट्रो हॉस्पिटल्स एंड हार्ट इंस्टीट्यूट के निदेशक डा. पुरुषोत्तम लाल ने बताया कि तेज आवाज वाले पटाखों से निकलने वाले धुएं, रसायन और गंध का सबसे ज्यादा असर दमे के रोगियों, सांस के मरीजों, बच्चों और गर्भवती महिलाओं पर पड़ता है, इसलिये इन लोगों को खासतौर पर सावधानी बरतनी चाहिये. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) ने लोगों को पटाखों का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी है.
सीएसई के शोधकर्ता विवेक चट्टोपाध्याय के अनुसार पटाखे जलाकर मिलने वाला अस्थाई लुत्फ थोड़ी देर बाद ही वायु प्रदूषण में बदल जाता है, क्योंकि पटाखों से खतरनाक गैसें निकलती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं.
एसोसिएटेड चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एसोचैम) के हाल के एक सव्रे के अनुसार इस साल पटाखों की मांग में 35 से 40 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है.
हृदय रोग विशेषज्ञ डा. लाल ने दिल के रोगियों को तेज आवाज वाले पटाखों से बचने की सलाह देते हुये कहा कि अचानक तेज धमाके उनके लिये अत्यंत घातक साबित हो सकते हैं, क्योंकि इससे ‘कार्डियक एरिथमिया’ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. यह स्थिति उन लोगों के लिये खासतौर पर घातक है, जिनके हृदय की धड़कन की दर कम है या जिन्हें पहले दिल का दौरा पड़ चुका है.
विशेषज्ञों के अनुसार पटाखों से निकलने वाले धुएं रसायन व तेज आवाज के कारण दिल के दौरे, रक्तचाप, दमा, नाक की एलर्जी, ब्रोंकाइटिस और निमोनिया का खतरा कई गुणा बढ़ जाते हैं.
विशेषज्ञों के अनुसार पटाखों के कारण दीवाली के बाद वायु प्रदूषण छह से दस गुना और आवाज का स्तर 15 डेसिबल तक बढ़ जाता है. इसकी वजह से पर्यावरण व स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है.
मेट्रो हॉस्पिटल्स एंड हार्ट इंस्टीट्यूट के निदेशक डा. पुरुषोत्तम लाल ने बताया कि तेज आवाज वाले पटाखों से निकलने वाले धुएं, रसायन और गंध का सबसे ज्यादा असर दमे के रोगियों, सांस के मरीजों, बच्चों और गर्भवती महिलाओं पर पड़ता है, इसलिये इन लोगों को खासतौर पर सावधानी बरतनी चाहिये. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) ने लोगों को पटाखों का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी है.
सीएसई के शोधकर्ता विवेक चट्टोपाध्याय के अनुसार पटाखे जलाकर मिलने वाला अस्थाई लुत्फ थोड़ी देर बाद ही वायु प्रदूषण में बदल जाता है, क्योंकि पटाखों से खतरनाक गैसें निकलती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं.
एसोसिएटेड चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एसोचैम) के हाल के एक सव्रे के अनुसार इस साल पटाखों की मांग में 35 से 40 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है.
हृदय रोग विशेषज्ञ डा. लाल ने दिल के रोगियों को तेज आवाज वाले पटाखों से बचने की सलाह देते हुये कहा कि अचानक तेज धमाके उनके लिये अत्यंत घातक साबित हो सकते हैं, क्योंकि इससे ‘कार्डियक एरिथमिया’ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. यह स्थिति उन लोगों के लिये खासतौर पर घातक है, जिनके हृदय की धड़कन की दर कम है या जिन्हें पहले दिल का दौरा पड़ चुका है.
Posted by राजबीर सिंह
at 9:22 pm.