उत्तराखंड में सोनिया गाँधी की रैली रद्द, रेल लाइन का भी करना था उद्घाटन

उत्तराखंड में रेल लाइन का उद्घाटन सोनिया को करना था लेकिन आखिरी मौके पर उनकी रैली रद्द कर दी गई.

उत्तराखंड के पहाड़ों में रेल का सपना पूरा होने जा रहा है. बुधवार 9 नवंबर को चमोली ज़िले में गोचर के ऐतिहासिक मैदान में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का उद्घाटन हो रहा है.

सोनिया को करना था उद्घाटन

बुधवार को इस रेल लाइन के उद्घाटन के लिए पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को आना था. सोनिया के दौरे को लेकर काफी राजनीति हुई और राज्य सरकार ने इस पर आपत्ति जताई थी.

दौरे पर राजनीति

उधर सोनिया के उत्तराखंड दौरे को लेकर राजनीति हावी रही. राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी ने आरोप लगाया कि शिलान्यास के लिए राज्य सरकार को विश्वास में नहीं लिया गया.

यह महत्वपूर्ण है कि 9 नवंबर को ही उत्तराखंड का राज्य स्थापना दिवस भी है. कहा जा रहा है कि सोनिया राज्य के लोगों को यह रेल लाइन तोहफे में देना चाहती हैं क्योंकि तीन महीने बाद ही यहां विधानसभा चुनाव होने हैं.

उधर बीजेपी की राज्य सरकार और कांग्रेस के नेतृत्व वाली केंद्र में भी तनाव उभर कर सामने आया. राज्य के मुख्यमंत्री कार्यालय का कहना है कि उसे सोनिया गांधी के कार्यक्रम के बारे में कोई भी पूर्व सूचना नहीं दी गई. सीएम दफ्तर के मुताबिक यह एक सामान्य प्रोटोकॉल है जिसे निभाया जाना चाहिए था.

राज्य के मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूरी का कहना है कि प्रदेश सरकार को दरकिनार कर रेल लाइन का शिलान्यास संघीय ढांचे पर सीधी चोट है. इसलिए वह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर इस मामले पर एतराज जताएंगे.

महत्वपूर्ण है रेल लाइन

यह रेल लाइन भौगोलिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि थोड़ी ही दूरी पर ही चीन की सीमा लगती है.गौरतलब है कि पिछले दिनों ने चीन ने भी भारत की सीमा तक रेल लाइन बिछाई है.

रेल लाइन का इतिहास

यहां यह जानना महत्वपूर्ण होगा कि 1919 में तत्कालीन उपायुक्त जे एम क्ले की पहल पर ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेल लाइन का सर्वे किया गया था. बाद में 1923 में विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित दरबान सिंह नेगी की मांग पर दोबारा से सर्वे कराया गया. इस बार सर्वे तो हुआ लेकिन किन्ही कारणों से रेल लाइन का निर्माण कार्य शुरू न हो सका.

बाद में 1996 में तत्कालीन रेल राज्य मंत्री सतपाल महाराज की पहल पर एक बार फिर यह सर्वे हुआ. लेकिन रेल मंत्रालय ने वित्तीय आधार पर इस परियोजना को खारिज कर दिया.

इतने का बाद भी राज्य में इस रेल लाइन की मांग उठती रही और इसकी गूंज संसद तक सुनाई पड़ती रही. परिणाम यह है कि अब 19 नवंबर 2011 को इस परियोजना का उद्घाटन हो रहा है. बहरहाल चार घंटे के इस सुहाने सफर का आनंद उठाने के लिए लोगों को अभी चार साल से अधिक का इंतज़ार करना होगा.

क्या है रूट

पहाड़ों को काट कर बनाई गई यह रेल लाइन 125 किलोमीटर लंबी और समुद्र तल से 4760 फीट की ऊंचाई पर है. इस रूट पर 13 स्टेशन होंगे. पूरे रेल मार्ग में कुल 128 पुल और 81 सुरंगें होंगी. सबसे लंबी सुरंग साढ़े चार किलोमीटर की होगी.

Posted by राजबीर सिंह at 10:56 pm.

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