डीएमके सांसद कनिमोझी की ज़मानत याचिका कोर्ट ने खारिज की
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स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में कनिमोझी और सात अन्य आरोपियों की ज़मानत याचिकाओं पर दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार 3 नवंबर को अपना फैसला सुनाया. मामले की अगली सुनवाई अब 11 नवंबर को होगी. कनिमोझी मामले की सुनवाई दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में हुई.
कोर्ट ने पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा, ए राजा के पूर्व निजी सचिव आर सी चंदोलिया और पांच अन्य की ज़मानत याचिकाएं भी खारिज कर दीं.
कनिमोझी फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं.
मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि आरोपियों पर लगाए गए आरोप अत्यंत गंभीर प्रकृति के हैं और अर्थव्यवस्था पर इनका गंभीर प्रभाव पड़ा. अदालत ने यह भी कहा कि यह बात कल्पना से भी परे है कि कनिमोई के साथ उनके महिला होने की वजह से भेदभाव किया जा रहा है.
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ओपी सैनी ने 24 सितंबर को कनिमोझी, स्वान टेलीकाम के प्रमोटर शाहिद उस्मान बलवा,पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा के पूर्व निजी सचिव आर के चंदोलिया, कलैंगनार टीवी के प्रबंध निदेशक शरद कुमार, कुसेगांव फ्रूट्स एंड वेजिटेबल्स के निदेशक आसिफ बलवा और राजीव अग्रवाल तथा बालीवुड निर्माता करीम मोरानी की जमानत याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.
अदालत ने इन लोगों के अलावा पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा की जमानत याचिका पर भी अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.
सीबीआई ने कनिमोझी और चार अन्य की जमानत का विरोध नहीं करने का फैसला इस आधार पर किया था कि उनके खिलाफ विशिष्ट आरोप लगाये गये हैं.
एजेंसी ने भारतीय दंड संहिता की धारा 409 के तहत कनिमोझी और चार अन्य पर आरोप लगाये थे जिनमें अधिकतम दंड के तौर पर आजीवन कारावास की सजा हो सकती है.
एजेंसी ने हालांकि शाहिद बलवा, चंदोलिया और बेहुरा की जमानत याचिकाओं का विरोध किया है.
विशेष सरकारी वकील यूयू ललित ने शाहिद बलवा और चंदोलिया के बारे में अदालत से कहा कि उन्हें जमानत नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि उनके खिलाफ लगाये गये आरोपों के तहत अधिकतम कैद सात साल की हो सकती है.
कनिमोझी और शरद कुमार के वकील अलताफ हुसैन ने कहा था कि उच्चतम न्यायालय के 22 जून के आदेश के तहत दोनों को आरोप तय होने के बाद जमानत हासिल करने के लिए विशेष न्यायालय की शरण में जाना चाहिए.
अदालत ने सभी आरोपियों के खिलाफ 22 अक्तूबर को आरोप तय कर दिये थे.
मोरानी के वकील सिद्धार्थ लूथरा ने यह कहते हुए जमानत मांगी थी कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है और उनके खिलाफ जांच पूरी हो चुकी है और आरोप भी तय कर दिये गये हैं.
शाहिद बलवा के वकील विजय अग्रवाल ने कहा था कि वह जमानत की पूर्व शर्त के तहत एतिसालात डीबी के 55 प्रतिशत शेयर अदालत में जमा कराने के इच्छुक हैं.
आसिफ और राजीव की जमानत याचिकाओं पर तर्क देते हुए अग्रवाल ने कहा था कि जहां तक पूरक आरोप पत्र का सवाल है, इन दोनों लोगों को सबसे लंबे समय से जेल में रखा गया है.
बेहुरा की ओर से पेश वकील अमान लेखी ने दावा किया था कि सीबीआई इस मामले के विभिन्न आरोपियों के बीच भेदभाव कर रही है और राजनीति के चलते सिर्फ कुछ लोगों की जमानत याचिकाओं का विरोध नहीं कर रही.