राजघाट पर अपना मौन व्रत तोड़ा अन्ना हज़ारे ने
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भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रभावी लोकपाल की मांग को लेकर आंदोलन करने वाले समाजसेवी अन्ना हजारे ने शुक्रवार सुबह राजघाट जाकर पिछले 19 दिनों से चला आ रहा अपना मौन व्रत तोड़ दिया.
अन्ना सुबह करीब सात बजे राजघाट पहुंचे और 'भारत माता की जय' और 'वंदे मातरम' के उद्घोष के साथ ही अपना मौन व्रत तोड़ दिया. वह 16 अक्टूबर से ही मौन व्रत पर थे.
अन्ना ने कहा कि उनका मौन व्रत स्वास्थ्य के लिए था. उनका मौन किसी पार्टी के खिलाफ नहीं था.
उन्होंने कहा कि मेरी सेहत में अब काफी सुधार है.
अन्ना और टीम अन्ना की महाराष्ट्र भवन में 10 बजे एक मीटिंग होगी.
अन्ना अपने गृहनगर रालेगण सिद्धि से गुरुवार रात को ही दिल्ली पहुंच गए थे.
74 वर्षीय अन्ना शुक्रवार को लोकपाल विधेयक के मसले पर होने वाली स्थायी समिति की बैठक में हिस्सा लेंगे. यह दूसरा मौका होगा जब अन्ना और उनके सहयोगी समिति के सामने अपनी राय रखेंगे.
उल्लेखनीय है कि अन्ना ने कुछ दिनों पहले ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखे एक पत्र में चेतावनी दी थी कि यदि शीतकालीन सत्र में एक प्रभावी लोकपाल विधेयक नही पारित किया गया तो वह सत्र के अंतिम दिन से दोबारा अनशन शुरू कर देंगे.
संवैधानिक दर्जे पर आपत्ति नहीं
गुरुवार को हुई संसद की स्थाई समिति में टीम अन्ना ने कहा कि उन्हें संवैधानिक दर्जे वाले लोकपाल पर कोई आपत्ति नहीं है पर इसके लिए संसद में आवश्यक बहुमत की वजह से विलम्ब हरगिज नहीं होना चाहिए. टीम अन्ना ने स्थाई समिति में प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने और अपनी दूसरी मांगों की रट लगाए रखी.
स्थाई समिति शुक्रवार को भी टीम अन्ना का पक्ष जानेगी और संभव है कि दिल्ली पहुंच गए अन्ना हजारे भी इसमें शामिल होंगे. बृहस्पतिवार की बैठक में टीम अन्ना ने पहली बार यह भी कहा है कि सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करने वाले कर्मचारियों को आर्थिक रूप से पुरस्कृत किया जाए और इसे संविधान की समवर्ती सूची में डाला जाए. बैठक में टीम अन्ना से सांसदों ने सवाल-जवाब नहीं किए.
बृहस्पतिवार की शाम को चार बजे से सात बजे तक चली बैठक में शांति भूषण, प्रशांत भूषण, अरविंद केजरीवाल और किरन बेदी ने भाग लिया. बैठक के बाद स्थाई समिति के अध्यक्ष अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया कि टीम अन्ना से शुक्रवार को भी बातचीत होगी और समिति इस महीने के अंत तक अपनी रिपोर्ट देने की कोशिश करेगी. उधर, टीम अन्ना के सदस्य प्रशांत भूषण ने कहा कि कुछ मायनों में बैठक सार्थक रही लेकिन अभी काफी आगे जाना है.
बैठक में टीम अन्ना के सभी उपस्थित सदस्यों ने कहा कि वह मजबूत लोकपाल चाहते हैं और इसके लिए वे पीछे नहीं हटेंगे. किरन बेदी और अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उत्तराखंड ने जैसा मजबूत लोकायुक्त बनाया है, वैसा ही लोकपाल बनना चाहिए. अगर सरकार संवैधानिक दर्जे वाला लोकपाल बनाना चाहती है, तो शौक से बनाए पर इसके लिए संविधान संशोधन के लिए आवश्यक बहुमत जुटाने की जिम्मेदारी सरकार की है. उन्होंने कहा कि हमें यह बहाना नहीं चाहिए कि संसद में इसके लिए बहुमत नहीं मिल पा रहा है.
फिलहाल, बैठक में किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा गया है क्योंकि टीम अन्ना प्रधानमंत्री, सांसदों और सीबीआई और सीबीसी को लोकपाल के दायरे में लाने पर अडिग ही है. इसके साथ-साथ लोकपाल की नियुक्ति में भी वह ज्यादा सदस्य गैरसरकारी चाहती है.