किसान नेता महेन्द्र सिंह टिकैत का निधन

उत्तर प्रदेश में अचानक से उभर आये किसान आंदोलनों के बीच एक बुरी खबर है. प्रदेश में किसान आंदोलन के प्रतीक बन चुके किसान नेता चौधरी महेन्द्र सिंह टिकैत का निधन हो गया है. उनका निधन अपने पैतृक गांव में हुआ. वे पिछले आठ महीने से बीमार थे और करीब महीनेभर से खाना भी छूट गया था. वे सिर्फ तरल पदार्थ ले रहे थे. कैंसर और लीवर की बीमारी से ग्रस्त चौधरी महेन्द्र सिंह टिकैत 75 वर्ष के थे.

टिकैत के पारिवारिक सूत्रों का कहना है कि उनका इलाज कर रहे डाक्टरों ने भी हाथ खड़े कर दिए थे।कैंसर और लीवर की समस्या से जूझ रहे महेंद्र सिंह टिकैत का वजन भी तेजी से गिरा था और उनका वजन 95 किलो से घटकर महज 55 किलो रह गया था। वे करीब 8 माह से बेड पर पड़े थे.

महेन्द्र सिंह टिकैत का जन्म मुजफ्फरनगर के सिसौली ग्राम में हुआ था. रघुवंशी जाट के घर में पैदा हुए चौधरी महेन्द्र सिंह टिकैत पिता के निधन के बाद आठ साल की उम्र में चौधरी बन गये थे. किसानों हितों के प्रति पूरी तरह से जागरूक रहनेवाले चौधरी टिकैत को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चौधरी चरण सिंह के बाद किसानों का दूसरा मसीहा कहा जाता था.

पूरे जीवन किसानों के मुद्दे पर आंदोलन करते रहे चौधरी महेन्द्र सिंह का आखिरी आंदोलन बिजनौर में 2008 में हुआ था जिसे खत्म करने के लिए मायावती प्रशासन ने 6 हजार पुलिसकर्मी टिकैत के गांव में तैनात किये थे और चौधरी साहब को गिरफ्तार करने की धमकियां दी थीं.

1988 में दिल्ली के बोट क्लब पर किसानों के लिए सात दिन तक धरना देकर पूरे देश में तहलका मचा दिया था। बोट क्लब पर इसी रैली के बाद रैलियों का आयोजन प्रतिबंधित कर दिया गया था. लेकिन रजबपुर का किसान आंदोलन सबसे लंबा आंदोलन था जो 110 दिन चला था.

Posted by राजबीर सिंह at 7:45 pm.

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