स्टाफ की कमी से लोकायुक्त कार्यालयों में शिकायतों का अंबार

स्टाफ की कमी से उत्तर प्रदेश लोकायुक्त कार्यालयों में शिकायतों का अंबार लगता जा रहा है.

मायावती सरकार के चार मंत्री भ्रष्टाचार की जांच में दोषी पाये जाने के बाद सरकार से निकाले जा चुके हैं. इस कार्रवाई के बाद लोकायुक्त संगठन की विश्वनीयता इतनी बढ़ गयी है कि हर रोज बडी संख्या में शिकायतें आ रही है.

लोकायुक्त कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि अचानक इतनी शिकायतों के मिलने के बाद स्टाफ की कमी महसूस की जा रही है और कार्रवाई मुश्किल होती जा रही है.

प्रदेश के लोकायुक्त ने एक और मंत्री रतन लाल अहिरवार को भ्रष्टाचार व आय से अधिक सम्पति के मामले में नोटिस जारी की है. अम्बेडकर ग्राम विकास विभाग मंत्री अहिरवार को 14 नवम्बर तक जबाव देने के लिए कहा गया है.

सूत्रों के अनुसार लोकायुक्त कार्यालय में प्रतिदिन 25 से 30 शिकायतें मिल रही है जिसमें मंत्रियों व अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच की मांग की गयी है.

लोकायुक्त न्यायमूर्ति (अवकाश प्राप्त) एके मेहरोत्रा के अनुसार किसी-किसी दिन तो शिकायतों की संख्या 80 तक पहुंच जाती है जिन पर तुरन्त कार्रवाई स्टाफ की कमी की वजह से मुश्किल हो जाती है. फिलहाल लोकायुक्त कार्यालय में प्रदेश के ऊर्जामंत्री रामवीर उपाध्याय, संसदीय कार्यमंत्री लालजी वर्मा, कृषि मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण, उद्यानमंत्री नारायण सिंह तथा खेल मंत्री अयोध्या प्रसाद पाल के खिलाफ भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों की जांच चल रही है.

इससे पहले मुख्यमंत्री मायावती लोकायुक्त जांच में दोषी पाये गये चार मंत्रियों राजेश त्रिपाठी, अवधपाल यादव, रंगनाथ मिश्र तथा बादशाह सिंह को मंत्री पद से हटा चुकी है. लोकायुक्त का मानना है कि उनकी जांच रिपोटों पर मुख्यमंत्री मायावती ने त्वरित कार्रवाई किये जाने से इस संगठन में लोगों का विश्वास बढ़ा है.

चार मंत्रियों को हटाये जाने के बाद ही अनेक मंत्रियों व वरिष्ठ नौकरशाहों के खिलाफ शिकायते नियमित रुप से की जा रही हैं.

सूत्रों का कहना है कि लोकायुक्त कार्यालय से स्टाफ की कमी के बारे में मुख्यमंत्री व राज्यपाल को अनेक पत्र लिखे जा चुके हैं. इन पत्रों में स्टाफ बढाने के अलावा किसी जांच एजेंसी को लोकायुक्त कार्यालय से संबद्ध करने की भी मांग की गयी है.

लोकायुक्त कार्यालय उन्हीं शिकायतों पर विचार कर रहा है जिनके साथ शपथपत्र व अन्य जरुरी कागजात संलग्न हैं. ऐसा इसलिये भी किया जा रहा है क्योंकि आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक विद्वेष के कारण भी शिकायतें दर्ज की जा सकती है.

Posted by राजबीर सिंह at 8:08 pm.

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