आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए कड़े फैसले की जरूरत : प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कान पहुंचने पर कहाकि आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए कड़े फैसले की जरूरत है.

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बुधवार को दुनिया की जी-20 के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए फ्रांस के तटीय रिजार्ट कान पहुंचे. जी-20, 20 ताकतवर अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह है. उन्होंने कहा कि यूरो क्षेत्र और अन्यत्र संकट को दूर करने के लिए कठिन तथा तेजी से कदम उठाने की जरूरत है.

सरकारी सूत्रों ने कहा कि जी-20 के समक्ष वैश्विक अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए पुख्ता कदम उठाने की बड़ी चुनौती है. सूत्रों ने बताया कि 17 राष्ट्रों के यूरो क्षेत्र के किसी भी देश ने भारत से इस संकट से निपटने में मदद के लिए द्विपक्षीय आग्रह नहीं किया है.

भारत पहले ही कह चुका है कि वह इस संकट से निपटने के लिए किसी भी बहुपक्षीय प्रयास में शामिल होने को तैयार है.

सिंह लगातार छठी बार जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे हैं. पहली बार इसका आयोजन अमेरिका ने 2008 में किया था. शिखर बैठक में काले धन पर अंकुश के लिए कर सूचनाओं के स्वैच्छिक आदान प्रदान के भारतीय एजेंडा पर भी चर्चा होने की संभावना है.

कान रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नई दिल्ली में एक बयान में कहा कि कुछ दिन पहले यूरोपीय संघ और यूरो क्षेत्र में हुए दो सम्मेलनों से ऐसे उपाय करने में मदद मिली है, जिससे बाजार का भरोसा लौटा है, पर इस दिशा में और भी बहुत कुछ करने की जरूरत है.

सिंह ने कहा, यूरोप और अन्य स्थानों पर आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए कड़े फैसले लिए जाने की जरूरत है और ये निर्णय तेजी से लिए जाने चाहिए. प्रधानमंत्री ने यूरो क्षेत्र को एक ऐतिहासिक परियोजना बताते हुए कहा, ‘भारत चाहेगा कि यूरो क्षेत्र फले-फूले, क्योंकि यूरोप की समृद्धि में ही हमारी समृद्धि छिपी है.’

सिंह ने कहा कि कान शिखर सम्मेलन ऐसे समय हो रहा है जब वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए यूरो क्षेत्र का ऋण संकट एक प्रमुख चिंता का विषय बन गया है.

उन्होंने उम्मीद जताई कि जी-20 शिखर सम्मेलन एक मजबूत तथा समन्वित संकेत देगा, जिसमें मध्यम अवधि के ढांचागत मुद्दों को सुलझाते हुए वैश्विक अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का प्रयास किया जाएगा.

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को व्यापक चुनौतियों का सामना करने के लिए एक अनुकूल वैश्विक आर्थिक वातावरण की जरूरत है.

योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिव शंकर मेनन भी कान आए हैं.

भारत चाहता है कि जी-20 कर चोरी के चैनलों पर लगाम के लिए नए उपाय शामिल करे. कुल वैश्विक उत्पादन में जी-20 की हिस्सेदारी 85 फीसद की है. साथ ही दुनिया की दो-तिहाई आबादी जी-20 देशों में रहती है.

दो दिन की इस बैठक में यूरोपीय नेताओं द्वारा ऋण संकट से निपटने के लिए किए जा रहे प्रयास छाए रहने की संभावना है.शिखर बैठक के मेजबान फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी होंगे. बैठक में सभी जी-20 सदस्यों से विकास और सार्वजनिक वित्त को नए सिरे से संतलित करने पर प्रतिबद्धता के लिए कहा जाएगा.

इस महत्वपूर्ण बैठक में अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन और चीन के राष्ट्रपति हू जिंताओ भी भाग ले रहे हैं. प्रधानमंत्री द्वारा इस बैठक में वर्तमान आर्थिक अस्थिरता को दूर करने के लिए कदम उठाने पर जोर दिया जाएगा. इसके लिए भारत की ओर से व्यापार को खोलने, सामाजिक सुरक्षा और आर्थिक विकास पर जोर दिया जाएगा.

समझा जाता है कि प्रधानमंत्री संरक्षणवाद की प्रवृत्ति को खत्म करने पर जोर देने के साथ मुक्त, पारदर्शी और नियम आधारित बहुपक्षीय व्यापारिक प्रणाली की बात रखेंगे.

अर्थशास्त्री से प्रधानमंत्री बने मनमोहन सिंह से जी-20 में कई बार सलाह ली जाती है.प्रधानमंत्री के इस शिखर बैठक में वैश्विक बाजारों में उचित भरोसा कायम करने के लिए उपाय सुझाने की भी उम्मीद की जा रही है

Posted by राजबीर सिंह at 9:59 pm.

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