अगले तीन साल में और घट सकती हैं मोबाइल की कॉल दरें

दूरसंचार नियामक ट्राई ने अगले तीन साल में चरणबद्ध तरीके से टर्मिनेशन शुल्क को खत्म करने का सुझाव दिया है.

इस कदम से मोबाइल की कॉल दरें और घट सकती हैं.

टर्मिनेशन शुल्क एक ऑपरेटर द्वारा दूसरे उस ऑपरेटर को अदा किया जाता है, जिसके नेटवर्क पर कॉल खत्म होती है.

यह इंटरकनेक्शन इस्तेमाल शुल्क ‘आईयूसी’ का हिस्सा है. इसमें किसी तरह का बदलाव मोबाइल दरों को प्रभावित करेगा.

फिलहाल टर्मिनेशन शुल्क 20 पैसे प्रति मिनट है और यह मोबाइल की कॉल दरों का हिस्सा है.

ट्राई ने उच्चतम न्यायालय में आईयूसी की गणना के लिए कई तरीके बताए थे. साथ ही नियामक ने कहा था कि इसे 2014 तक पूरी तरह खत्म कर दिया जाना चाहिए. इस बारे में अंतिम निर्णय शीर्ष अदालत को करना है.

जीएसएम आपरेटर टर्मिनेशन शुल्क को कम किए जाने के किसी भी प्रस्ताव के खिलाफ हैं.

वहीं दूसरी ओर सीडीएमए खिलाड़ी और नए आपरेटर इस शुल्क को पूरी तरह खत्म करने के किसी भी प्रस्ताव का समर्थन कर रहे हैं.

वर्तमान आपरेटर इस शुल्क में कटौती नहीं चाहते हैं, क्योंकि इससे उनको राजस्व का घाटा होगा.

वहीं दूसरी ओर नए खिलाड़ी टर्मिनेशन शुल्क की दरें घटाने के पक्ष में हैं, क्योंकि उनके नेटवर्क से ट्रैफिक का प्रवाह इनकमिंग कॉल्स से अधिक होता है.

ट्राई का विचार है कि टर्मिनेशन शुल्क में प्रगतिशील तरीके से कटौती की जानी चाहिए और अंत में इसे शून्य के स्तर पर लाया जाना चाहिए.

यदि टर्मिनेशन शुल्क में कटौती होती है, तो नए खिलाड़ी सबसे पहले कॉल दरें घटाएंगे, जिससे पुरानी कंपनियों पर भी कॉल दरें घटाने का दबाव पड़ेगा.

उच्चतम न्यायालय ने इससे पहले ट्राई को एक आपरेटर से दूसरे आपरेटर के नेटवर्क पर कॉल ले जाने के लिए इंटरकनेक्शन शुल्क की नई दरें तय करने को कहा था.

शीर्ष अदालत ने यह निर्देश ट्राई की उस याचिका पर दिया था जिसमें टीडीसैट के आदेश को चुनौती दी गई थी. टीडीसैट ने ट्राई के इंटरकनेक्शन इस्तेमाल शुल्क ‘नियमन’, 2009 को रद्द कर दिया था.

ट्राई ने 2009 के आईयूसी नियमन में मोबाइल टर्मिनेशन शुल्क की दर सभी स्थानीय और राष्ट्रीय लंबी दूरी की कॉल्स के लिए 20 पैसे प्रति मिनट तय की थी.

Posted by राजबीर सिंह at 9:23 pm.

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