अब हो सकेगी नकली व्हिस्की की पहचान, भारतीयों ने बनाया यंत्र
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समाचार पत्र ‘द टेलीग्राफ' के अनुसार स्कॉटलैंड के छह सौ वर्ष पुराने विश्वविद्यालय सेंट एंड्रयूज विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञानी प्रवीण अशोक, किशन ढोलकिया एवं बविश्न प्रवीण का कहना है कि उनके परीक्षण की वजह से हाथ में पकड़े जाने वाले एक उपकरण का विकास सम्भव हो सका है.
जो चंद सेकेंड़ में नकली पेय का पता लगा सकता है और उसे अधिकृत नतीजे उपलब्ध करा सकता है.
वैज्ञानिक पत्रिका ‘ऑप्टिक्स' में प्रकाशित रपट में भारतीय शोधकर्ताओं ने कहा कि इस परीक्षण से व्हिस्की के मूल, पीपे के प्रकार और निर्माण समय को भी बताया जा सकता है.
पत्र ने कहा कि इस अविष्कार से एशिया में लाखों पाउंड बच सकते हैं।