28 सितंबर को जम्मू−कश्मीर विधानसभा में अफजल गुरू की फांसी पर चर्चा
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28 सितंबर को संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरू की फांसी की सजा को माफ करने के प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान हंगामा होने के आसार हैं.
निर्दलीय विधायक शेख अब्दुल राशिद ने अफजल की फांसी की सजा माफ करने का प्रस्ताव रखा है. प्रमुख विपक्षी पार्टी पीडीपी ने पहले ही तय कर दिया है कि वह इस प्रस्ताव का समर्थन करेगी.
प्रस्ताव का भविष्य सत्ताधारी गठबंधन नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के रुख से तय होगा. पहले तो कांग्रेस ने मामले पर बोलने से इनकार किया लेकिन सूत्रों के हवाले से आ रही खबरों के मुताबिक कांग्रेस विधायकों को अपनी आत्मा की आवाज के आधार पर वोट करने की बात सामने आई है.
राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी पीडीपी ने घोषणा की है कि उनके 21 विधायक इस प्रस्ताव के पक्ष में वोट देंगे. जबकि भाजपा ने विपक्ष में रहने का फैसला किया है.
भाजपा विधायक चमनलाल ने स्पीकर को चिट्ठी लिखकर इस प्रस्ताव को सदन में न रखने की मांग की है.
इससे पहले राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने तमिलनाडू विधानसभा द्वारा राजीव गांधी के हत्यारे की फांसी के विरोध में प्रस्ताव पास करने पर ट्वीट किया था कि अगर इस तरह का प्रस्ताव अफजल पर राज्य विधानसभा में पारित होता तो लोग चुप नहीं बैठते.
गौरतलब है कि अफजल गुरु मामले को लेकर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में उसकी माफी के प्रस्ताव को विधानसभा ने मंजूर कर लिया है.
अफजल जम्मू कश्मीर के सोपोर का रहने वाला है. अफजल गुरु 2001 में भारतीय संसद पर हुए आतंकवादी हमले का दोषी है. इसे सर्वोच्च न्यायालय ने मृत्यु दंड दिया है. अफजल गुरु की दया याचिका राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के पास भेजी गई है.