नवरात्रि के आठवें दिन करें मां महागौरी की उपासना और कंजके पूजे
आध्यात्म, ताजा खबरें 12:24 am

नवरात्रि के आठवें दिन (4 अक्टूबर, मंगलवार) मां महागौरी की पूजा की जाती है.
महाशक्ति मां दुर्गा के लिए कोई भी कार्य असंभव नहीं है.इस नौ दिनों में भक्त विभिन्न तरीकों से माता को मनाने का प्रयत्न करते हैं.
तीन वर्ष से लेकर नौ वर्ष की कन्याएं साक्षात माता का स्वरूप मानी जाती है.
शारदीय नवरात्रि में यदि माता की विधि-विधान से पूजा की जाए तो वे अपने भक्तों को मनचाही सिद्धि प्रदान करती हैं.
नवरात्रि के आठवें दिन (4 अक्टूबर, मंगलवार) मां महागौरी की पूजा की जाती है.
आदिशक्ति श्री दुर्गा का अष्टम रूप श्री महागौरी हैं. मां महागौरी का रंग अत्यंत गौरा है इसलिए इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता हैं.
महागौरी ने अपनी तपस्या के द्वारा गौर वर्ण प्राप्त किया था और उसे अन्नपूर्णा की सिद्वि भी प्राप्त है.
अतः इन्हें उज्जवल स्वरूप की महागौरी को धन , धान्य , ऐश्वर्य प्रदायिनी चैतन्यमयी त्रैलोक्य पूज्य मंगला शारीरिक , मानसिक और सांसारिक ताप तथा पेट की भूख का हरण करने वाली माता अन्नपूर्णा का भी नाम दिया गया है.
उत्पत्ति के समय यह आठ वर्ष की आयु की होने के कारण नवरात्र के आठवें दिन पूजने से सदा सुख और शान्ति देती हैं.
वर्ष के दौरान दोनों नवरा़त्र में अष्टमी के दिन ही यह कन्या पूजन इस लिए भी होता है कि इस दौरान धरती पर अन्न आदि फसलों के पकने का महीना होता है और अन्नपूर्णा पार्वती ही धन , धान्य , वैभव और सुख शान्ति की अधिष्ठात्री देवी है.
दुर्गा के इस अष्टम रूप को महागौरी के रूप में स्थापना मिलने से परिवार के भरण पोषण तथा खान पान के सभी व्यवस्था पर स्त्री शक्ति का अधिकार होने से अष्टमी के दिन नौ कन्याओं को भोजन कराने के अलावा दीन दुखियों और गरीबों को भी अन्न वितरित किया जाता है.
भारत के पश्चिमी प्रांतों और मध्यवर्ती प्रांतों में अष्टमी के दिन कंजक यानी अन्नपूर्णा पूजा के दिन नौ कन्याओं और एक कुमार को विधिवत घर में बुलाकर और उनके पांव धोकर पूजा की जाती है. इसके उपरांत उन्हें वस्त्र आभूषण , फल पकवान और अन्न आदि दिया जाता है.
कहीं कहीं नवमी के दिन भी कंजकों की पूजा की जाती है. उस दिन का विधान भी ठीक वैसा ही है जैसा कि अष्टमी के दिन नौ कन्या और एक कुमार की पूजा की जाती है.
