रसोई गैस सिलेंडर सब्सिडी समाप्त करने की मंशा नहीं : पेट्रोलियम मंत्रालय

पेट्रोलियम मंत्रालय ने कहा है कि उसकी घरेलू रसोई गैस सिलेंडर पर सब्सिडी समाप्त करने की कोई मंशा नहीं है.

मंत्रालय ने डीज़ल की दोहरी मूल्यनीति को खारिज करते हुये कहा कि यह व्यावहारिक नहीं है.

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री जयपाल रेड्डी ने बुधवार 19 अक्टूबर को दिल्ली में आर्थिक संपादकों के सम्मेलन में कहा कि घरेलू रसोई गैस पर सब्सिडी समाप्त करने का सरकार का कोई इरादा नहीं है. हालांकि, उन्होंने कहा कि सब्सिडी प्राप्त एलपीजी सिलेंडर की संख्या सीमित करने के मामले में सरकार ने अभी तक कोई विचार नहीं बनाया है.

उन्होंने कहा कि यह राजनीतिक रुप से काफी संवेदनशील मुद्दा है.

पेट्रोलियम मंत्री ने कहा, ‘‘मंत्रियों के प्राधिकृत समूह ने सब्सिडीयुक्त एलपीजी सिलेंडर की आपूर्ति सीमित करने के मुद्दे पर अभी तक कोई फैसला नहीं किया है.’’ उन्होंने कहा यह राजनीतिक तौर पर काफी संवेदनशील मुद्दा है. ‘‘जब तक हम लोगों वस्तुस्थिति से और ज्यादा अवगत नहीं कराते हैं तब तक हम कोई भी अप्रिय निर्णय नहीं ले सकते हैं.’’

तेल कंपनियों पर पेट्रोलियम पदार्थों के बढ़ते सब्सिडी बोझ को देखते हुये पेट्रोलियम मंत्रालय ने प्रत्येक परिवार को सब्सिडीयुक्त सिलेंडर की आपूर्ति एक साल में चार से छह तक सीमित करने का प्रस्ताव किया गया है. इससे अधिक सिलेंडर की आवश्यकता होने पर बाजार मूल्य से खरीदना होगा. फिलहाल मंत्री समूह इस प्रस्ताव पर आगे नहीं बढ़ पाया है. रेड्डी ने कहा कि प्राधिकृत मंत्री समूह की अगली बैठक के लिये फिलहाल कोई तिथि तय नहीं हुई है.

दिल्ली में सब्सिडीयुक्त एलपीजी सिलेंडर का दाम 395.35 रुपये प्रति सिलेंडर है जबकि इसका बाजार मूलय 666 रुपये तक है. प्रस्ताव के मुताबिक दुपहिया अथवा कार रखने वाले या फिर आयकर का भुगतान करने वाले परिवारों को सब्सिडीयुक्त सिलेंडर की आपूर्ति सीमित करने का प्रस्ताव है.

रेड्डी ने कहा कि सब्सिडी वाले सिलेंडर की आपूर्ति सीमित होने से तेल कंपनियों के नुकसान को 25,000 करोड़ रुपये कम किया जा सकेगा. इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम को सस्ते दाम पर सिलेंडर की बिक्री से प्रतिदिन 67 करोड रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है.

डीज़ल पर दोहरी मूल्यनीति व्यावहारिक नहीं
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री जयपाल रेड्डी ने बुधवार 19 अक्टूबर को दिल्ली में आर्थिक संपादकों के सम्मेलन में पूछे गये सवाल पर कहा, ‘‘डीज़ल पर दोहरी मूल्यनीति व्यावहारिक नहीं ह. हम डीज़ल की दोहरी मूल्य प्रणाली शुरु नहीं कर सकते हैं. इससे बाजार में दुरुपयोग बढ़ेगा.’’

पिछले दिनों लक्ज़री डीजल कारों के लिये डीज़ल का बाजार मूल्य रखे जाने का विचार आया था. तेल विपणन कंपनियां इस समय डीज़ल को उसकी वास्तविक लागत से 7.06 रुपये प्रति लीटर सस्ता बेच रही हैं. वर्ष के दौरान कंपनियों को केवल डीजल बिक्री पर ही 67,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है. कुल सब्सिडी 1,21,571 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है.

डीज़ल कारों पर बढ़े ड्यूटी
रेड्डी ने मौजूदा परिस्थितियों में तेल विपणन कंपनियों की वित्तीय स्थिति पर चिंता जतायी और कहा कि उन्होंने वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर डीज़ल की बढ़ती खपत पर चिंता व्यक्त की है. विशेषकर डीज़ल से चलने वाली लक्ज़री और स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) की बढ़ती संख्या को लेकर उन्होंने चिंता जताई और ऐसी कारों पर ड्यूटी बढ़ाने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा 15 प्रतिशत डीजल लक्जरी व्यक्तिगत कारों में खपत हो रहा है.

रेड्डी ने कहा ‘‘15 प्रतिशत डीज़ल की खपत व्यक्तिगत डीज़ल कारों में हो रही है. यहां तक कि मोबाइल टावर में भी डीज़ल का इस्तेमाल किया जा रहा है, वह हमारी प्राथमिकता सूची में नहीं है.’’

Posted by राजबीर सिंह at 8:14 pm.

ब्रेकिंग न्यूज़

 

2010-2011 आवाज़ इंडिया मीडिया प्रॉडक्शन. All Rights Reserved. - Designed by Gajender Singh