'जगजीत का जाना भी लोगों को याद रहेगा'

भारत में ग़ज़ल गायकी को प्रचिलित करने वाले ग़ज़ल किंग जगजीत सिंह के जाने से संगीत की दुनिया में जो कमी आई है उसकी भरपाई कर पाना शायद नामुमकिन है.

एक लम्बे अरसे से जगजीत सिंह के दोस्त रहे ग़ुलाम अली कहते हैं, ''जगजीत के जाने से मुझे बहुत बड़ा धक्का लगा, अभी तो 3 सितंबर को हमने साथ में एक कार्यक्रम किया था और 23 सितंबर को हमें मुंबई में एक और कार्यक्रम करना था लेकिन उससे पहले ही जगजीत भाई की तबियत बिगड़ गई और उन्हें हस्पताल में भार्ति करना पड़ा, उनकी हालत गंभीर होती चली.''


जगजीत सिंह को याद करते हुए ग़ुलाम अली कहते हैं, ''वो एक बहुत ही खुशमिज़ाज आदमी थे, जब भी कभी वो और मैं साथ में कोई शो करते थे तो अक्सर ये होता था कि शो के बाद हम रात रात भर बातें करते रहते थे.''

साथ ही ग़ुलाम अली साहब कहते हैं, ''जब मैंने उनके जाने की ख़बर सुनी तो मेरे मुह से तो शब्द ही नहीं निकले. जगजीत भाई का जाना भी लोगों को हमेशा याद रहेगा.''

ग़ुलाम अली कहते हैं कि जगजीत सिंह भले ही बाहर से कड़क दिखाई देते हों लेकिन अदंर से वो बेहद संवेदनशील इन्सान थे. वो हमेशा दूसरों की मदद करने के लिये तैयार रहते थे. अपने लिए तो सभी काम करते हैं लेकिन जगजीत भाई दूसरों के लिए काम करने में यकीन रखते थे.

ग़ुलाम अली साहब को जगजीत साहब की कई गज़लें जैसे, 'बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी', 'आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक' और 'हर बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है' पसंद हैं.

जगजीत सिंह का निधन 10 अक्तूबर 2011 को मुंबई में हुआ था.

Posted by राजबीर सिंह at 11:17 pm.

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