पुनर्जन्म


नई दिल्ली, आँखों देखी न्यूज़ : मौत के बाद क्या होता है? क्या एक शरीर छोड़ने के बाद आत्मा दूसरे शरीर में जाती है? क्या पुनर्जन्म की बात सच है? साइंस की माने तो बिलकुल नहीं लेकिन राजस्थान के हनुमानगढ़ में रहने वाला सात साल का अवतार विज्ञान को चुनौती दे रहा है। अवतार के मुताबिक वो पिछले संतोष था और पंजाब के फिरोजपुर जिले के अवोहर में उसका घर है।

पुनर्जन्म के सिद्धांत पर सदियों से बहस चलती रही है और हर बार इसे सिरे से खारिज करते रहे हैं लेकिन इस बार एक सात साल के लड़के ने न सिर्फ विज्ञान को बल्कि कानून के जानकारों के सामने भी बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। बच्चे का दावा है कि उसका पुनर्जन्म हुआ है और वो अपने उन कातिलों को जानता है जिसने सात साल पहले बेरहमी से उसकी हत्या की थी पुनर्जन्म के दावे में कितनी सच्चाई है। ये बात खुद अवतार के घरवालों के लिए भी बड़ी पहेली बन गई।


मासूम बच्चे के बड़े बड़े दावों के साथ पुनर्जन्म के सिद्धांत की परीक्षा की घड़ी आ चुकी है। अवतार के पिता चरण सिंह ने फैसला किया कि वो अपने बच्चे को अबोहर लेकर जाएगें। देखें कैसे वो अपने घर का पता बताता है, कैसे संतोष के घरवालों को पहचानता है और उनके सामने कैसे साबित करता है कि जो इस जन्म में अवतार है वही पिछले जन्म का संतोष है।

पंजाब के फिरोजपुर जिले में अबोहर पहुंचते ही सात साल के बच्चे के दिमाग में अजीबगरीब हलचल होने लगी। वो शायद फ्लैश बैक में चला गया। सात साल पहले वो जिन रास्तों से गुजरता था वो उसे एक एक कर याद आने लगे। सैकड़ों चेहरे, दरों दीवार, चौक-चौराहे सब याद आने लगे। सात साल का लड़का अपने पिता को खींचता हुआ आगे बढ़ रहा था। चरण सिंह एक पल के लिए हैरान रह गए।

अवतार एक घर के सामने खड़ा था। उसने इशारा किया, यही है मेरा घर। उस घर में मौजूद लोगों के लिए अवतार के रूप में आए संतोष को पहचानने का सवाल ही नहीं था लेकिन तभी छोटे से बच्चे ने एक एक कर सबको नाम लेकर बुलाना शुरू कर दिया।

सुभाष की बहन रत्ना ने बताया कि घर में बचपन की फोटो को वह पहचान गया। कहने लगा ये मेरे भाई-बहन हैं। फिर घर राजावाली में मम्मी पापा को भी पहचान गया। स्वर्गवासी हो चुके मेरे भाई की तस्वीर देखकर कहने लगा कि ये तो फोटो मेरी है। ये तो मैं हूं। सुभाष हूं मैं।

अवतार के रूप में संतोष की वापसी की खबर आग की तरह फैल गई। पूरे इलाके में हड़कंप मच गया किसी को यकीन ही नहीं हुआ कि ऐसा भी हो सकता है। लोगों को लगा ये कोई ड्रामा तो नहीं? कहीं साजिशन बच्चे को समझा बुझाकर तो नहीं लाया गया है? लिहाजा पुनर्जन्म के दावे की एक और परीक्षा ली गई।

संतोष के घरवालों ने एक ऐसे शख्स से अवतार की बात कराई जो उस समय घर पर मौजूद नहीं था। अवतार संतोष के छोटे भाई से बात कर रहा था। जिसने कुछ देर बाद ही बस अड्डे पर अवतार को मिलने के लिए बुलाया ताकि देख सकें कि भीड़ में भी वो संतोष के भाई को पहचान पाता है या नहीं।

पुनर्जन्म इस परीक्षा में भी अवतार सफल हो गया उसने बस अड्डे पर संतोष के भाई को पहचान लिया।

इसके बाद अवतार ने संतोष की हत्या की पूरी कहानी घरवालों को सुना दी। उसके मुताबिक रुपयों के लेने देन को लेकर निजी फाइनेंस कंपनी के संचालकों ने उसकी हत्या कर दी थी। वारदात को आत्महत्या का रूप देने के लिए बाद में उन्होंने लाश रेलवे ट्रैक पर फेंक दी। हैरानी की बात ये है कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में संतोष की हत्या का मामला निजी फाइनेंस कंपनी के उन्हीं संचालकों के खिलाफ चल रहा है, जिनका अवतार नाम ले रहा है।

अवतार अब चाहता है कि वो अदालत में अपनी ही हत्या की गवाही दे सके। अदालत में अर्जी दाखिल करने के लिए संतोष के घरवालों ने अब एक वकील से भी बातचीत की है लेकिन सवाल ये है कि -क्या अदालत अवतार को गवाही की इजाजत देगी?

-क्या कोर्ट में अवतार की गवाही मान्य होगी?

-क्या पुनर्जन्म के दावे को सही माना जा सकता है?

फिलहाल संतोष के घरवालों के चेहरों पर उम्मीद की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं। उम्मीद इंसाफ की, उम्मीद संतोष के लौटने की।

Posted by राजबीर सिंह at 7:25 am.

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