प्रसिद्द गायक भूपेन हजारिका का पार्थिव शरीर गुवाहाटी पंहुचा
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उनके पार्थिव शरीर को बाद में यहां से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित उनके पैतृक गृह ले जाया गया.
हजारिका के पार्थिव शरीर को हवाईअड्डे से निजारापाड़ा स्थित उनके आवास पर ले जाते समय उनकी एक झलक पाने के लिए सड़कों किनारे खड़े हजारों प्रशंसक 'भूपेन हजारिका अमर रहें' जैसे नारे लगा रहे थे.
मार्ग में हजारिका के गाए गीत भी गूंज रहे थे. एक बड़ा जनसैलाब सुबह तड़के से ही लोक संस्कृति से जुड़े अपने प्रिय गायक के अंतिम दर्शन करने के लिए उनका इंतजार कर रहा था.
ज्ञात हो कि 85 वर्षीय हजारिका का निधन शनिवार को मुम्बई के एक अस्पताल में हो गया था. वह लम्बे समय से बीमार थे.
हवाईअड्डे पर हजारिका के पार्थिव शरीर को रस्मी 'गार्ड ऑफ ऑनर' दिया. इस अवसर राज्यपाल जे.बी. पटनायक एवं मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने उन्हें पुष्पांजलि दी.
इसके बाद जैसे ही उनके पार्थिव शरीर को हवाईअड्डे से बाहर ले जाया गया तो उनके प्रशंसकों की आंखों से आंसू बहने लगे और वे सिसकने लगे.
रुंधे गले एवं भीगी आंखों से मुख्यमंत्री पटनायक ने कहा, "मैं स्तब्ध एवं नि:शब्द हूं."
बीते चार दशकों से हजारिका की साथी रहीं फिल्मकार कल्पना लाजमी सहित उनके कुछ रिश्तेदार एवं शुभचिंतक भी उनके पार्थिव शरीर के साथ थे.
लाजमी ने कहा, "मैंने अपना पिता, मार्गदर्शक एवं पति खो दिया है. उनकी मृत्यु हो सकती है लेकिन उनकी आत्मा हमेशा जीवित रहेगी."
गुवाहाटी के निजारपाड़ा क्षेत्र में स्थित हजारिका के पैतृक आवास पर पहुंचने से पहले उनके पार्थिव शरीर को लेकर जा रहे सुसज्जित ताबूत को पांच स्थानों पर रोका गया. इसके बाद ताबूत को प्रशंसकों के अंतिम दर्शनार्थ ऐतिहासिक जजेज फील्ड में रखा गया. जजेज फील्ड शहर का एक खेल मैदान है.
हवाईअड्डे को जाने वाली 30 किलोमीटर लम्बी सड़क के दोनों ओर लोग जमा थे, जो अपने हाथों में नारे लिखी तख्तियां, हजारिका के फोटो, पुष्पमालाएं और फूल लिए हुए थे.
पुलिस महानिरीक्षक जी.पी. सिंह ने कहा, "हम कुछ कर नहीं सकते, केवल लोगों की भावुकता देख रहे हैं."
दादासाहेब फाल्के पुरस्कार विजेता हजारिका के नौ भाई-बहनों में से सबसे छोटे समर हजारिका ने कहा, "सुनहरी आवाज के मालिक इस शख्स की मौत हो सकती है लेकिन उनकी आवाज आने वाली पीढ़ियों में जुनून पैदा करती रहेगी."
हजारिक का अंतिम संस्कार मंगलवार को एक बजे दिन में होगा.
तैयारियों का जायजा ले रहे अधिकारियों ने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि भूपेन दा के अंतिम संस्कार के दौरान लगभग 10 लाख लोग जुटेंगे."
हजारिका जब 10 साल के थे तभी उन्होंने गायकी शुरू कर दी थी. उन्होंने 1,500 से ज्यादा गीत दिए. उन्होंने 13 साल की उम्र में नए असम के गठन व नए भारत पर एक गीत गाया. इस गीत के बोल उन्होंने खुद लिखे थे और संगीत भी खुद ही तैयार किया था.
सन् 1926 में असम के तिनसुकिया के सादिया में उनका जन्म हुआ था. उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीतिशास्त्र में स्नातक व स्नातकोत्तर किया था. 1948 में उन्होंने न्यूयार्क के कोलम्बिया विश्वविद्यालय से जनसंचार की पढ़ाई की थी.