आलोचनाओं और मतभेदों के बीच अन्ना हजारे का टीम के पुनर्गठन का संकेत

कई मुद्दों पर आलोचनाओं का सामना कर रही टीम अन्ना में उहापोह की स्थिति बनी हुई है.

इस बीच हजारे ने कोर समिति के पुनर्गठन का संकेत दिया है. यह मांग टीम के कुछ प्रमुख सदस्यों की ओर से की जा रही है.

हजारे के आधिकारिक ब्लागर पत्रकार राजू पारूलकर ने कहा कि हजारे पक्ष की कोर समिति का जल्द ही पुनर्गठन किया जायेगा. उन्होंने यह नहीं बताया कि कब और कैसे कोर समिति का पुनर्गठन होगा.

हजारे पक्ष के प्रमुख सदस्य शनिवार को उनकी अनुपस्थिति में गाजियाबाद में बैठक करेंगे. कई विवादों में घिरने के बाद पैदा हुए संकट पर चर्चा के लिए यह बैठक बुलाई गई है. हालांकि इस बैठक से पहले दो प्रमुख सदस्य मेधा पाटकर और कुमार विश्वास ने गांधीवादी नेता से पूरे टीम के पुनर्गठन की मांग की है. दोनों सदस्यों ने हालांकि किरण बेदी और अरविंद केजरीवाल की आलोचना नहीं की जिन पर एनजीओ और उससे संबंधित वित्तीय लेनदेन के संबंध में सवाल उठाये जा रहे हैं.

पाटकर ने कहा कि समूह में ‘आमूलचूल’ परिवर्तन की जरूरत है क्योंकि वह कई आरोपों के घेरे में है और कोर समिति के कई सदस्यों को निशाना बनाया जा रहा है. उन्होंने हालांकि स्पष्ट किया कि समूह में कोई मतभेद नहीं है. लेकिन कई आरोपों के चलते और कोर समिति के सदस्यों को निशाना बनाये जाने के मद्देनजर परिवर्तन जरूरी है.

उन्होंने कहा कि वह शनिवार को कोर समिति की बैठक में शामिल नहीं होंगी. बैठक में हजारे और न्यायमूर्ति संतोष हेगड़े ने भी शामिल नहीं होने का फैसला किया है.

वहीं, हजारे पक्ष के एक प्रमुख सदस्य कुमार विश्वास ने इस विषय पर अन्ना को पत्र लिखकर मांग की कि कोर समिति को निलंबित किया जाये. उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेताओं द्वारा इसे निशाना बनाये जाने को देखते हुए इसका विस्तार कर इसमें और सदस्यों को शामिल किया जाए.

विश्वास ने अपने पत्र में कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी के नेता हजारे को निशाना बना रहे हैं और उनकी सार्वजनिक छवि और विश्वसनीयता को कलंकित करने की कोशिश कर रहे हैं.

विश्वास ने लिखा, ‘इन सब हमलों और उनकी सफाई देने से मूल मुद्दे से ध्यान हटाने का इनका षड्यंत्र मजबूत होगा. ऐसा होने पर न केवल जन लोकपाल का मुद्दा प्रभावित होगा, अपितु करोड़ों भारतवासियों के उस विश्वास को भी आघात पहुंचेगा, जिसके तहत वे संवैधानिक, अहिंसक और शांतिपूर्ण तरीके से देश की समस्याओं का हल ढूंढते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘मैं यह निवेदन करना चाहता हूं कि आप सीमित लोगों की इस कोर कमेटी को विस्तार देकर इसे 121 करोड़ लोगों की ‘हार्ड-कोर कमेटी’ में रूपांतरित कर दें.’

बहरहाल, हजारे मौन व्रत धारण किए हुए हैं और शनिवार की बैठक में टीम के एक अन्य सदस्य न्यायमूर्ति संतोष हेगड़े भी बैठक में शामिल नहीं होंगे. यह बैठक अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाले ‘पब्लिक काज रिसर्च फाउंडेशन’ (पीसीआरएफ) के गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) में कौशांबी स्थित कार्यालय में निर्धारित है.

कोर समिति की बैठक केजरीवाल और किरण बेदी के खिलाफ लगे कई आरोपों तथा दो प्रख्यात कार्यकर्ता राजेन्द्र सिंह एवं पीवी राजगोपाल के इस्तीफे के मद्देनजर बुलाई गई है. सिंह और राजगोपाल ने भ्रष्टाचार के खिलाफ हजारे के आंदोलन के राजनीतिक रूख अख्तियार करने पर इस्तीफा दे दिया था.

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह द्वारा हजारे पर किए गए ताजा हमले के बीच यह बैठक बुलाई गई है. दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया था कि हजारे और योगगुरू रामदेव एवं श्री श्री रविशंकर का भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन आरएसएस-भाजपा की योजना का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य दक्षिणपंथी आतंकवाद से ध्यान हटाना था.

टीम अन्ना अभी बचाव की मुद्रा में है. किरण बेदी पर अपने मेजबानों से यात्रा बिल बढ़ा-चढ़ाकर लेने का आरोप है, जबकि केजरीवाल पर भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन के लिए एकत्र किए गए चंदे को पीसीआरएफ संस्था में तथा हिसार उपचुनाव में कांग्रेस के खिलाफ उपचुनाव में लगाने के आरोप हैं.

टीम अन्ना के एक अन्य सदस्य और अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने भी कश्मीर में जनमत सर्वेक्षण की हिमायत कर एक विवाद पैदा कर दिया, जिसका हजारे और टीम के अन्य सदस्यों ने सख्त विरोध किया.

हजारे ने शनिवार को अपने ‘मौन व्रत’ को जारी रखने का फैसला किया. उन्होंने इसे 16 अक्तूबर को शुरू किया था. इस मौन व्रत का यह मतलब समझा जा रहा है वह कोर समिति की बैठक में शामिल नहीं होंगे जबकि उनकी टीम के सदस्यों की ईमानदारी पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं.

हेगड़े ने टीम अन्ना के सदस्यों पर हमला बोलते हुए कहा, ‘अन्ना की मजबूती कोर समिति या कोर समिति के लोगों में नहीं है.’ उन्होंने इस बैठक में शामिल नहीं होने की बात दोहरायी. हेगड़े ने कहा कि वह केजरीवाल और किरण से जुड़े विवाद पर नजर रखे हुए हैं. उन्होंने टिप्पणी की, ‘यह एक अच्छा मंथन चल रहा है.’

इस बीच पूर्व सदस्य राजेन्द्र सिंह ने टीम अन्ना पर अपना हमला जारी रखते हुए कहा कि हजारे अपने उद्देश्य से भटक गए हैं और उनकी टीम अहंकारी लोगों से भरी पड़ी है, जिसमें अच्छे आदमी के लिए कोई जगह नहीं है.

सिंह ने किरण और केजरीवाल को टीम अन्ना का सबसे अहंकारी सदस्य बताते हुए कहा कि वे लोग पूर्व नौकरशाह होने के नाते अपना दबदबा दिखाना चाहते हैं और खुद को दूसरों पर थोपते हैं.

टीम अन्ना में मौजूद सूत्रों ने बताया कि वे टीम में भूषण के कायम रहने सहित टीम से जुड़े हर मुद्दे पर वे चर्चा करेंगे.

हजारे ने कहा था कि कश्मीर में जनमत सर्वेक्षण की हिमायत करने के चलते भूषण को टीम में बरकरार रखने के बारे में कोर समिति फैसला करेगी.

Posted by राजबीर सिंह at 8:13 pm.

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