देश के कई हिस्सों में धूमधाम से मनाया गया छठ पर्व

सूर्य भगवान की उपासना के पर्व छठ की छटा देखते ही बनती है. बिहार, झारखंड सहित देश के कई हिस्सों में यह पर्व धूमधाम से मनाया गया.

बुधवार की सुबह व्रतियों ने उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत पूरा किया. दिल्ली समेत उत्तर भारत के बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और मुंबई समेत देस के अन्य कई हिस्सों में छठ पर्व मनाया गया.

दिल्ली के सभी घाटों पर व्रतियों और अन्य श्रद्धालुओं का जन सैलाब उमड़ा, जिसकी छटा देखते ही बनती थी. पारंपरिक लोकगीत और भजन-कीर्तन से पूरा माहौल श्रद्धा और भक्ति के भाव से गुंजायमान रहा.

बुधवार सुबह व्रतियों ने उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत संपन्न किया. इससे पहले मंगलवार की शाम व्रतियों ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया था.

चार दिवसीय छठ पर्व की शुरुआत 'नहाय खाय' से रविवार को हुई और सोमवार को धार्मिक अनुष्ठान 'खरना' किया गया जिसके तहत पकवान बनाए गए.

मंगलवार को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया गया और बुधवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही यह पर्व संपन्न हो गया. इस दौरान विवाहित महिलाएं 36 घंटे का उपवास रखती हैं.

अर्घ्य के दौरान डूबते और उगते सूर्य को आटे से बने पकवान, दूध, गन्ना, केला एवं नारियल का भोग लगाया जाता है.

बिहार की राजधानी पटना सहित अन्य शहरों में यह पर्व धूमधाम से मनाया गया. इन शहरों में सभी सड़कों पर लोग नदियों एवं जलाशय की ओर रुख किया.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी परिवार के साथ छठ पर्व मना रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद और उनकी पत्नी राबड़ी देवी ने इस बार नई दिल्ली में छठ मनाई.

इस अवसर पर नई दिल्ली, पटना एवं अन्य स्थानों पर प्रशासन की ओर से गंगा, यमुना एवं अन्य नदियों एवं जलाशयों के तट पर सफाई, घाट का निर्माण एवं अन्य सुविधाओं का प्रबंध किया गया था. पटना में 23 घाटों को असुरक्षित घोषित किया गया था.

एक अनुमान के अनुसार दिल्ली में लगभग 40 लाख लोग यमुना तटों पर पहुंचे.

छठ लोक आस्था का पर्व है जो सूर्योपासना के लिए प्रसिद्ध है. मूलत: सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इसे छठ कहा गया है. यह पर्व पारिवारिक सुख-समृद्धि तथा मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए मनाया जाता है.

छठ व्रत के सम्बंध में कई कथाएं प्रचलित हैं. एक कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए, तब द्रौपदी ने छठ व्रत किया. इससे उसकी मनोकामनाएं पूरी हुईं तथा पांडवों को राजपाट वापस मिल गया.

लोकपरंपरा के अनुसार सूर्य देव और छठी मइया का सम्बंध भाई-बहन का है. लोक मातृ षष्ठी की पहली पूजा सूर्य ने ही की थी.

कार्तिक शुक्ल षष्ठी को दिन में छठ प्रसाद बनाया जाता है. प्रसाद के रूप में ठेकुआ, जिसे कुछ क्षेत्रों में टिकरी भी कहते हैं, के अलावा चावल के लड्डू, जिसे लडुआ भी कहा जाता है, बनाते हैं. इसके अलावा चढ़ावा के रूप में लाया गया सांचा और फल भी छठ प्रसाद के रूप में शामिल होता है.

कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. अंत में व्रती कच्चे दूध का शरबत पीकर तथा थोड़ा प्रसाद खाकर व्रत पूर्ण करते हैं.

Posted by राजबीर सिंह at 9:32 pm.

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